Vinod Kapri’s film ‘Pyre’ to be screened at Bengaluru Film Festival
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Vinod Kapri’s film ‘Pyre‘ to be screened at Bengaluru Film Festival
विनोद कापड़ी की फिल्म ‘Pyre’ बेंगलुरु फिल्म फेस्टिवल में होगी स्क्रीन
नई दिल्ली: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार विनोद कपूरि की फिल्म “Pyre” को 16वें बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारत में पहली बार प्रदर्शित किया जाएगा। यह फिल्म उत्तराखंड में सेट की गई है और इसे एक ऐसे विलीन हो रहे भूमि में अमर प्रेम की एक शोकमयी गाथा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। “Pyre” ने 2024 के ताल्लिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल में अपनी वर्ल्ड प्रीमियर के दौरान ऑडियंस अवार्ड भी जीता था।
विनोद कापड़ी , जिन्होंने 2014 में अपनी डॉक्यूमेंट्री “Can’t Take This Shit Anymore” के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था, इस फिल्म की बेंगलुरु फिल्म महोत्सव में स्क्रीनिंग को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, “हम बहुत ही अभिभूत हैं। बेंगलुरु भारत के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म महोत्सवों में से एक है। हमें बहुत खुशी है कि फिल्म को यहां प्रदर्शित किया जा रहा है, और यह हमारे फिल्म के लिए एक सम्मान की बात है, साथ ही इसमें अभिनय करने वाले 80 साल के गैर-व्यावसायिक अभिनेताओं के लिए भी एक गर्व का पल है।”
फिल्म का कथानक और विषय:
“Pyre” उत्तराखंड की जंगली और बंजर भूमि में स्थापित एक अद्भुत प्रेम कहानी है। यह फिल्म उन लोगों के बारे में है, जो अपनी पारंपरिक मान्यताओं और जीवनशैली से जुड़े हुए हैं, जबकि उनका परिवेश धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। फिल्म का विषय दुख, प्रेम और संघर्ष को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। फिल्म की कहानी एक प्रेमी जोड़े की है जो जीवन के अंत तक एक-दूसरे से बेजोड़ प्रेम करता है, लेकिन समय और जगह के बदलावों के कारण उनकी ज़िन्दगी कठिनाइयों में बदल जाती है।
यह फिल्म न केवल उत्तराखंड की सुंदरता को दर्शाती है, बल्कि यह वहाँ के स्थानीय लोगों की कठिनाइयों और संघर्षों को भी उजागर करती है। फिल्म में 80 वर्षीय गैर-व्यावसायिक अभिनेता मुख्य भूमिका में हैं, जो एक नई लहर के रूप में उभरकर फिल्म के वास्तविकता को बढ़ाते हैं। उनकी सरलता और अनुभव ने फिल्म को एक अलग ही संवेदनशीलता दी है।
फिल्म का महत्व और पुरस्कार:
फिल्म का विषय जितना ही प्रभावशाली है, उतना ही इसकी प्रस्तुति भी दिलचस्प है। कपूरि की यह फिल्म मानवीय संवेदनाओं और पारंपरिक मूल्यों की गहरी समझ को दर्शाती है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में प्रासंगिक है। ताल्लिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल में ऑडियंस अवार्ड जीतने के बाद से ही फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी सराहा गया है। इस तरह के पुरस्कार और मान्यता फिल्म के लिए एक बड़ी उपलब्धि हैं, और यह उसे एक नई पहचान दिलाने में मदद करेगा।
बेंगलुरु फिल्म महोत्सव का भारत में विशेष महत्व है, और इसे फिल्म उद्योग में एक मान्यता प्राप्त मंच माना जाता है। यहां पर प्रदर्शित होने से फिल्म को न केवल भारतीय दर्शकों के बीच पहचान मिलेगी, बल्कि यह फिल्मकार को एक नए और बड़े दर्शक वर्ग से भी जुड़ने का अवसर मिलेगा। यह फिल्म भारत के ग्रामीण जीवन, उसकी संस्कृति, और वहां के लोगों के संघर्षों को दर्शाने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विनोद कापड़ी की “Pyre” एक अद्वितीय और संवेदनशील फिल्म है, जो भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा देती है। यह फिल्म न केवल दर्शकों को एक अलग अनुभव प्रदान करेगी, बल्कि यह भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। बेंगलुरु फिल्म महोत्सव में इसका प्रदर्शित होना निश्चित ही इस फिल्म के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी और इससे फिल्म को अधिक व्यापक पहचान मिलने की उम्मीद है।
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