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सुनीता विलियम्स: अंतरिक्ष से धरती तक की अविश्वसनीय यात्रा

सुनीता विलियम्स, जो एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं, ने अंतरिक्ष में अपने असाधारण अभियानों के दौरान कई कीर्तिमान स्थापित किए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कई दिन बिताए और वहां महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। लेकिन अंतरिक्ष में बिताए गए इन दिनों के बाद, उनकी धरती पर वापसी भी उतनी ही रोमांचक और चुनौतीपूर्ण रही। उनकी अंतरिक्ष से धरती तक की यात्रा न केवल तकनीकी रूप से जटिल थी बल्कि एक साहसिक अनुभव भी थी।

अंतरिक्ष में सुनीता विलियम्स का समय

सुनीता विलियम्स ने दो अंतरिक्ष यात्राएं कीं – पहली बार 9 दिसंबर 2006 को और दूसरी बार 15 जुलाई 2012 को। उन्होंने कुल 322 दिन अंतरिक्ष में बिताए, जो किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए एक लंबा समय था। अपने मिशन के दौरान, उन्होंने आईएसएस पर महत्वपूर्ण शोध किए, अंतरिक्ष में चहलकदमी (स्पेसवॉक) की, और वहां के सिस्टम की मरम्मत की। लेकिन अंतरिक्ष में रहना जितना चुनौतीपूर्ण होता है, उतनी ही कठिन होती है धरती पर वापस लौटने की प्रक्रिया।

धरती पर लौटने की प्रक्रिया

अंतरिक्ष से धरती तक का सफर आसान नहीं होता। अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले सही दिशा और गति में लाना बेहद आवश्यक होता है। थोड़ी भी चूक होने पर यान जल सकता है या गलत दिशा में चला जा सकता है।

सुनीता विलियम्स जब अपने अभियान के अंत में धरती पर लौटने की तैयारी कर रही थीं, तब उन्हें सोयुज कैप्सूल में सवार होकर वापस आना था। सोयुज अंतरिक्ष यान एक छोटे कैप्सूल जैसा होता है, जिसे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सुरक्षित लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।

पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश

जब सोयुज कैप्सूल ने आईएसएस को छोड़ा, तो यह पहले धीमी गति से पृथ्वी की ओर बढ़ा। जैसे-जैसे यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने लगा, इसकी गति 28,000 किमी प्रति घंटे से भी अधिक थी। वायुमंडल में प्रवेश करते समय घर्षण के कारण अत्यधिक गर्मी उत्पन्न हुई, जिससे कैप्सूल के चारों ओर एक आग की परत बन गई। यह एक खतरनाक प्रक्रिया होती है, लेकिन विशेष सुरक्षा प्रणाली के कारण कैप्सूल सुरक्षित रहता है।

सुनीता और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों को इस दौरान बेहद सावधानी बरतनी पड़ी। वायुमंडलीय घर्षण के कारण अंतरिक्ष यान में झटके महसूस हुए, और गुरुत्वाकर्षण बल (G-force) के कारण उन पर कई गुना भार पड़ा। यह उनके शरीर के लिए एक कठिन परीक्षा थी, क्योंकि वे महीनों तक शून्य गुरुत्वाकर्षण में रहने के कारण इस स्थिति के लिए अभ्यस्त नहीं थे।

पैराशूट और सुरक्षित लैंडिंग

जब कैप्सूल पृथ्वी के नजदीक आया, तो इसमें लगे विशेष पैराशूट्स खुल गए, जिससे इसकी गति धीमी हो गई। पैराशूट्स के खुलते ही यान धीरे-धीरे नीचे आने लगा और अंत में यह कजाकिस्तान के रेगिस्तान में सफलतापूर्वक उतरा। लैंडिंग के समय हल्की टक्कर होती है, लेकिन यान में बैठे अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रहते हैं।

जैसे ही कैप्सूल धरती पर उतरा, नासा और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी की टीम तुरंत वहां पहुंची और सुनीता विलियम्स और उनके साथियों को बाहर निकाला। महीनों तक अंतरिक्ष में रहने के कारण, उनका शरीर थोड़ा कमजोर हो गया था और उन्हें चलने-फिरने में कठिनाई हो रही थी। इसलिए, डॉक्टरों की टीम ने तुरंत उनका मेडिकल परीक्षण किया और उन्हें पुनर्वास प्रक्रिया के लिए तैयार किया।

धरती पर लौटने के बाद

सुनीता विलियम्स के लिए अंतरिक्ष से धरती पर लौटना एक भावनात्मक क्षण था। अंतरिक्ष में महीनों बिताने के बाद, उन्होंने फिर से ताजी हवा महसूस की, खुला आसमान देखा और पृथ्वी की प्राकृतिक सुंदरता को सराहा। हालांकि, उनके शरीर को गुरुत्वाकर्षण के साथ फिर से समायोजित होने में समय लगा।

धरती पर लौटने के बाद, उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया और युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति प्रेरित किया। वे भारत भी आईं और यहां के लोगों से मुलाकात की।

निष्कर्ष

सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से धरती तक की यात्रा विज्ञान और तकनीक की असाधारण उपलब्धि का प्रमाण है। यह दिखाता है कि अंतरिक्ष यात्रा कितनी कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। उनकी कहानी न केवल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी सिखाती है कि मेहनत और साहस से कोई भी असंभव कार्य संभव किया जा सकता है।

 

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