RBI lowers key rate again, repo rate now 6%.

RBI lowers key rate again, repo rate now 6%.
आरबीआई ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दर में की कटौती, रेपो रेट 6% पर, कर्ज लेने वालों को मिलेगी राहत
मुंबई, 9 अप्रैल: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद एक अहम फैसला लेते हुए नीतिगत दरों में लगातार दूसरी बार कटौती की है। आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कमी कर इसे 6 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फरवरी में भी रेपो दर में इतनी ही कटौती की गई थी, जब इसे 6.25 प्रतिशत किया गया था। इस नई कटौती से आम जनता को होम लोन, ऑटो लोन और अन्य प्रकार के कर्जों पर ब्याज दर में राहत मिलने की उम्मीद है।
क्यों की गई कटौती?
आरबीआई ने यह कदम उस समय उठाया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी व्यापार नीतियों के कारण दबाव में है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) लगाने की घोषणा की थी, जो 9 अप्रैल से प्रभावी हो चुका है। इस कदम से भारत के निर्यात उद्योग पर असर पड़ने की आशंका है, और यह देश की आर्थिक वृद्धि दर को प्रभावित कर सकता है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संवाददाता सम्मेलन में बताया, “मौद्रिक नीति समिति ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है कि नीतिगत दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया जाए, ताकि अर्थव्यवस्था को समर्थन मिल सके और मांग में सुधार हो।”
पिछले बदलावों पर नजर
यह ध्यान देने योग्य है कि मई 2020 के बाद से आरबीआई ने पहली बार फरवरी 2025 में नीतिगत दरों में कटौती की थी। तब रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत किया गया था। इससे पहले फरवरी 2023 में दरों में वृद्धि की गई थी। उस समय मुद्रास्फीति के दबाव को देखते हुए आरबीआई ने दरें बढ़ाई थीं। लेकिन अब वैश्विक हालात और व्यापारिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नरम रुख अपनाया गया है।
आम जनता को क्या फायदा होगा?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं। जब यह दर कम होती है, तो बैंक भी उपभोक्ताओं को कम ब्याज दर पर लोन देने में सक्षम होते हैं। इस वजह से होम लोन, ऑटो लोन, एजुकेशन लोन जैसे कर्ज सस्ते हो जाते हैं। इससे मांग बढ़ने की संभावना होती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिलती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो दर में कटौती से रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को खासा फायदा होगा, जो पिछले कुछ समय से सुस्ती के दौर से गुजर रहे हैं।
जीडीपी वृद्धि दर का पूर्वानुमान घटा
आरबीआई ने मौजूदा वैश्विक आर्थिक हालात को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर के अनुमान को भी संशोधित किया है। पहले यह अनुमान 6.7 प्रतिशत था, जिसे अब घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है। आरबीआई ने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और वैश्विक बाजारों की अस्थिरता इसके प्रमुख कारण हैं।
आरबीआई का यह फैसला वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लगातार दूसरी बार दरों में कटौती यह संकेत देती है कि केंद्रीय बैंक घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने और वैश्विक जोखिमों से निपटने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है। जहां एक ओर इससे बाजार में तरलता बढ़ेगी, वहीं आम उपभोक्ताओं को भी आर्थिक राहत मिलेगी। आने वाले महीनों में इसका असर बैंकिंग सेक्टर, उद्योग और खुदरा उपभोक्ताओं पर देखने को मिलेगा।