Ram Rahim Dera Sacha Sauda head gets 21-day leave
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Ram Rahim Dera Sacha Sauda head gets 21-day leave

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को मिली 21 दिन की पैरोल, फिर उठा विवाद

चंडीगढ़, 9 अप्रैल: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराए गए गुरमीत राम रहीम सिंह को हरियाणा सरकार ने 21 दिन की छुट्टी (पैरोल) प्रदान की है। बुधवार सुबह वह रोहतक स्थित सुनारिया जेल से बाहर आए। इस कदम को लेकर एक बार फिर राज्य सरकार की मंशा और न्याय प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं, खासकर तब जब राम रहीम पहले भी कई बार जेल से बाहर आ चुके हैं।

गुरमीत राम रहीम को वर्ष 2017 में दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था और 20 साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के मामले में भी उन्हें दोषी ठहराया जा चुका है। बावजूद इसके, उन्हें पिछले कुछ वर्षों में कई बार पैरोल और फरलो दी जा चुकी है।

वकील ने दी जानकारी

राम रहीम के वकील ने पुष्टि करते हुए कहा, “उन्हें 21 दिन की पैरोल मिली है, और वह सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए जेल से बाहर आए हैं।” हालांकि यह साफ नहीं है कि वे इस दौरान कहां रहेंगे, लेकिन अतीत में देखा गया है कि वह डेरा सच्चा सौदा के उत्तर प्रदेश स्थित बागपत आश्रम में ही रहते हैं और वहीं से अपने अनुयायियों से वर्चुअल माध्यम से जुड़ते हैं।

राजनीतिक हलकों में उठे सवाल

राम रहीम को मिली पैरोल को लेकर विपक्षी दलों ने हरियाणा सरकार की आलोचना शुरू कर दी है। कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार चुनावों के दौरान डेरा अनुयायियों को प्रभावित करने के लिए जानबूझकर राम रहीम को रिहा करती है। गौरतलब है कि राम रहीम के अनुयायी बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले हुए हैं और चुनावों में प्रभावशाली माने जाते हैं।

हरियाणा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “एक बलात्कारी और हत्यारे को बार-बार पैरोल देना क्या दर्शाता है? यह कानून और व्यवस्था की खिल्ली उड़ाने जैसा है।” उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार को सार्वजनिक तौर पर पैरोल देने की वजह बतानी चाहिए।

जेल नियमों का पालन या राजनीतिक सुविधा?

राज्य सरकार का कहना है कि राम रहीम को पैरोल जेल नियमों के तहत दी गई है, और हर कैदी को इस अधिकार का लाभ लेने का हक है यदि वह पात्रता की शर्तें पूरी करता है। जेल प्रशासन का तर्क है कि राम रहीम जेल में ‘अच्छा आचरण’ दिखा रहे हैं, इसलिए उन्हें छुट्टी दी गई है।

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि एक गंभीर अपराधी को बार-बार छूट देना न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि पीड़ितों को भी आहत करता है।

गुरमीत राम रहीम को मिली 21 दिन की पैरोल एक बार फिर देश में पैरोल नीति और इसके दुरुपयोग पर बहस छेड़ रही है। जहां सरकार इसे एक सामान्य कानूनी प्रक्रिया बता रही है, वहीं विपक्ष और सामाजिक संगठनों के अनुसार यह निर्णय जनभावनाओं के खिलाफ है और न्याय व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह निर्णय किसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था या वास्तव में एक कानूनी प्रक्रिया के तहत लिया गया कदम।

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