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Guru purnima : Noida के radicon vedantam में गुरु पूर्णिमा पर हवन
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Guru purnima : Noida के रेडिकान वेदान्तम ने गुरु पूर्णिमा पर किया हवन और भंडारा

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर रेडिकोन वेदांतम ने अपने कार्यालय में हवन का आयोजन किया। Noida के radicon vedantam में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पंडित हरिशंकर तिवारी ने मंत्रोच्चार कर कार्यालय में हवन आरती की। तत्पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया। सभी सोसायटी निवासियों, राहगीरों और स्टाफ सदस्यों ने प्रसाद ग्रहण किया। आयोजन को सफल बनाने में रंजना चौधरी, अमित शर्मा, भुवन चंद भट्ट, शिवांश चौधरी, रोहित गुप्ता, सुमित दिवाकर, मुजाहिद अली, सिया, प्रवीण व हर्ष आदि का सहयोग रहा।

क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा

गुरुपूर्णिमा एक सनातन संस्कृति है। पुरानी संस्कृति में आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा कहा जाता है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में गुरु में गु का अर्थ अन्धकार या अज्ञान है, और रू का अर्थ प्रकाश है। गुरु को अज्ञान को दूर कर प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने वाले कहते हैं। गुरु की कृपा से भगवान का साक्षात्कार गुरु की कृपा के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। आदि गुरु परमेश्वर शिव ने दक्षिणामूर्ति के रूप में सभी ऋषि मुनि को शिष्य के रूप में ज्ञान दिया। गुरुपूर्णिमा उनकी स्मृति में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा एक परम्परा है जो सभी आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं को समर्पित है जो अपने ज्ञान को बिना किसी धन खर्च किए व्यक्तित्व को विकसित और प्रबुद्ध करना चाहते हैं। भारत, नेपाल और भूटान में इसे हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्मावलम्बियों का उत्सव मानते हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में यह पर्व अपने आध्यात्मिक गुरुओं और अधिनायकों का सम्मान करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व जून से जुलाई, हिन्दू पंचांग के माह आषाढ़ की पूर्णिमा पर मनाया जाता है।महात्मा गांधी ने अपने आध्यात्मिक गुरु श्रीमद राजचन्द्र का सम्मान करने के लिए इस उत्सव को पुनर्जीवित किया वेदव्यास का जन्मदिन भी व्यास पूर्णिमा पर मनाया जाता है।

भारत के मध्यप्रदेश राज्य के होशंगाबाद जिले की तहसील सिवनी मालवा में सदी के सबसे महान दार्शनिक आध्यात्मिक गुरु आचार्य रजनीश का पुनर्जन्म कोरी बुनकर समाज में हुआ है. प्रोफेसर हनीश ओशो का पूरा नाम हरीश कोरी है और वह कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे हरीश, हर्ष, काशी के पंडा, पंडित जी देवानंद, आदि।

गुरुपूर्णिमा को गुरुपूजन करने का विधान है शिष्य अपने गुरु की प्रत्यक्ष या उनके चरण पादुका की चन्दन, धूप, दीप या नैवेद्य से पूजा करते हैं। इस दिन अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जप करना चाहिए।

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